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जनता कर्फ्यू के बीच जहां सभी लोग घरों में कैद रहे, वहीं कांगड़ा के गगल बाजार में एक मरीज और उसके तीमारदार बीच सड़क पर गाड़ी का इंतजाम करने के लिए जद्दोजहद करते दिखे। बता दे की रविवार को गगल के रेन शैल्टर में एक महिला मरीज, जो कि चंबा की रहने वाली है, एक मरीज बैठी हुई थी। बताया जा रहा है कि वह टांडा मेडिकल कालेज में इलाज़ करवाने के लिए शनिवार को भर्ती हुई थी। उसे रविवार सुबह टांडा मेडिकल कालेज से डिस्चार्ज कर दिया गया, जो तीन परिजनों के साथ गगल रेन शैल्टर में बैठी हुई थी, उसे जनता कर्फ्यू के चलते आगे चंबा जाने के लिए कोई भी वाहन नहीं मिल रहा था।
उसे स्थानीय लोगों व पुलिस की सहायता से एक निजी होटल में ले जाया गया। वहीं लोगों का कहना है कि टीएमसी प्रशासन को जब पता था कि रविवार को देशव्यापी कर्फ्यू है, तो उन्होंने महिला को छुट्टी कैसे दे दी। टीएमसी प्रशासन ने इस मरीज को डिस्चार्ज कर सड़कों पर भटकने को मजबूर कर दिया। बताया जा रहा है कि महिला खेलकु देवी (35) गांव ऑयल, तहसील चुराह चंबा को 21 मार्च को चंबा से टांडा मेडिकल कालेज के लिए रैफर किया गया।
शनिवार शाम चार बजे वे टांडा मेडिकल कालेज पहुंचे और खेलकु देवी का आपातकालीन उपचार शुरू हो गया। रात भर उसके सभी टेस्ट हुए, लेकिन रविवार को सुबह 10 बजे आपातकाल वार्ड से ही उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। खेलकु देवी के परिजनों ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों को कहा था कि बाहर जनता कर्फ्यू है और उन्हें अभी छुट्टी न दी जाए , लेकिन उनकी बात को नहीं सुना गया। उन्हें टांडा में एंबुलेंस भी नहीं मिल पाई। जैसे-तैसे उन्हें एक गाड़ी मिली, जो उनको गगल तक छोड़ गई। उधर, इस बारे में टांडा मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते टांडा मेडिकल कालेज को तीन दिन से बंद रखा गया है। उन्होंने कहा कि जब तक अस्पताल में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होती, तब तक मरीज को यहीं रुकना चाहिए।
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