News portals -सबकी खबर (कुल्लू )
साहब…मलाणा में बाढ़ आए 10 दिन बीत गए हैं। आज दिन तक न प्रशासन और न ही मलाणा पावर प्रोजेक्ट ने हमारी समस्या को सुना है। हम मलाणा वासी आफत की जिंदगी जीने को मजबूर हो गए हैं। यही नहीं, अब तो राशन के लाले भी पडऩे शुरू हो गए हैं। रास्ते-सडक़ें बंद, बिजली-पानी की भारी समस्या पैदा हो गई है। आपदा की इस वेला पर हमें प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिल रही है। यदि यही हालत रही, तो आने वाले दिनों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो सकती है। कुछ यूं आपबीती लेकर गुरुवार को विश्व पटल में पुरानी संस्कृति से प्रसिद्ध मलाणा गांव के लोग प्रशासन के दरबार पहुंचे। यही नहीं, इनकी गंभीर समस्या पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने भी एडीएम कुल्लू प्रशांत सरकेक के समक्ष रखी और जल्द समाधान करने के लिए कहा। मलाणावासियों ने प्रशासन से कहा कि सडक़ बंद होने से राशन उन्हें गांव पहुंचाना मुश्किल हो गया है। कई ग्रामीणों के पास तो कुछ दिनों का राशन ही बचा है।
मलाणा में जो सरकारी डिपो है, वहां पर सडक़ की दयनीय हालत के चलते राशन पहुंचाना कठिन हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार छह जुलाई को मलाणा में भारी बारिश होने से बाढ़ आई है। इससे जहां एक महिला की बाढ़ में बह जाने से मौत हो गई है, वहीं करीब 11 घोड़े बाढ़ की भेंट चढ़ गए। वहीं, मलाणा को जाने वाले रास्ते को पूरी तरह से डेमेज कर दिया है। सडक़ छह से सात किलोमीटर ध्वस्त हो गई है। सडक़, रास्ते बंद होने से मलाणा के लिए तीन घंटे लग रहे हैं।
गुरुवार को भी मलाणा के ग्रामीण आफत भरी समस्या को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए पहले अपने गांव मलाणा से तीन घंटे पैदल चले। इसके बाद 40 से 45 किलोमीटर वाहन में सफल तक प्रशासन के समक्ष पहुंचे। वहीं गांव में पशुओं को बीमारी फैलने के भी आसार पैदा होने वाले हैं। पशु पागल जैसी स्थिति में आ गए हैं। यदि समय रहते डाक्टर यहां नहीं पहुंच पाते हैं, तो बीमारी बढ़ सकती है। करीब 5 से 6 पशुओं में बीमारी पैदा हो गई है। (एचडीएम) गांव मलाणा में पिछले 10 दिन पहले आई बाढ़ से इतनी नौबत आ गई है कि यहां अब एयरलिफ्ट से राशन पहुंचाना विकल्प है। रास्ते-सडक़ें बंद पड़े हुए हैं। अब मलाणा वासियों सहित पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने जिला प्रशासन से एयरलिफ्ट के जरिए राशन पहुंचाने की मांग की है। बता दें कि बाढ़ आने से मलाणा की हालत खराब हो गए हैं। यहां पर पूरी पंचायत के 21सौ की आबादी परेशान हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि मलाणा प्रोजेक्ट-1 गेट से लेकर नेरंग तक सडक़ ध्वस्त है। करीब सात किलोमीटर सडक़ बाढ़ की भेंट चढ़ी है। इसके बाद मलाणा के लिए जाने वाले रास्ते को बाढ़ ने इतना खराब और भंयकर मंजर वाला कर दिया है कि गांव के लिए अगर राशन इस समय घोड़ों के माध्यम से ले भी जाना पड़े, तो लेकिन नहीं जा सकता है। रास्ता जोखिम भरा बना हुआ है
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