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दो अक्तूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ। किसे पता था कि गुजरात के पोरबंदर में दो अक्तूबर, 1869 को करमचंद गांधी और पुतलीबाई के यहां जन्में महात्मा गांधी एक दिन विश्व के महान नेता और भारतवर्ष के राष्ट्रपिता कहलाएंगे।
देश के इस महान नेता का हिमाचल की राजधानी से गहरा रिश्ता रहा है। आजादी के दिनों में वह कई बार शिमला आए। महात्मा गांधी पहली बार मदन मोहन मालवीय और लाला लाजपत राय के साथ 12 मई, 1921 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रीडिंग से मिलने शिमला आए थे और जाखू में लाला मोहनलाल के बंगले पर भी रुके। इसके बाद वह 1931 में वायसराय लार्ड वेलिंग्टन से मिलने पहुंचे।
इसके बाद इमरसन से मिलने इसी साल बापू बल्लभ भाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू के साथ पहुंचे। वर्ष 1940 से 1946 के बीच बापू तीन बार शिमला आए। महात्मा गांधी ने प्रसिद्ध पर्यटन रेल कालका-शिमला रेल से भी 1921 में यात्रा की थी। समरहिल स्थित राजकुमारी अमृतकौर का घर भी महात्मा गांधी की शिमला यात्राओं का गवाह है। शिमला आने पर महात्मा गांधी अधिकतर मैनोर विला में ठहरे और यहीं रुककर उन ऐतिहासिक फैसलों पर मंथन हुआ जो देश की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित हुए।
समरहिल स्थित हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय परिसर के पास स्थित मैनोर विला के पास से जब आज भी गुजरते हैं, तो एक सिहरन सी पैदा हो जाती है। समरहिल के मैनोर विला के अलावा जाखू का फायर ग्रोव व शांति कुटीर गांधी की शिमला यात्राओं का इतिहास खुद में समेटे हुए है। जब महात्मा गांधी तत्कालीन वायसराय से मिलने शिमला आए थे तो उस समय उन्होंने ईदगाह में रैली को भी संबोधित किया था।
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