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पंजाब एवं हरियाणा के हाईकोर्ट ने गर्भ में पल रहे 26 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी है। मां-बाप ने खुद ऐसा करने की मांग की है दरअसल, भ्रूण का मस्तिष्क व अन्य अंग विकसित न होने के चलते उसके जीवित रहने की कम संभावना को देखते हुए गर्भपातकी अनुमति दी गई है। याचिका दाखिल करते हुए दंपती ने बताया कि उन्होंने मोहाली के एक निजी केंद्र से अल्ट्रासाउंड करवाया था। रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें कजहेड़ी के सिविल अस्पताल या सेक्टर 16 अस्पताल में इलाज कराने का सुझाव दिया गया था। याचिकाकर्ता ने पीजीआई का रुख किया, जहां पर कोरोना के चलते भीड़भाड़ के कारण उन्होंने सेक्टर 16 अस्पताल में टेस्ट करवाए |
जांच के बाद दंपती को बताया गया कि भ्रूण का मस्तिष्क विकसित नहीं हुआ है तथा अन्य अंग भी अविकसित हैं। जब तक यह रिपोर्ट आई, तब तक भ्रूण की आयु इतनी बढ़ चुकी थी कि उसे बिना कोर्ट की अनुमति के गिराया नहीं जा सकता। इसके चलते याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने पीजीआई को मेडिकल बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे। जांच के बाद बोर्ड ने कहा कि यदि बच्चा जन्म लेता है तो उसके जीवित रहने की संभावना न के बराबर है। बोर्ड ने महिला का गर्भपात करने की अनुमति देने का सुझाव दिया था। मेडिकल बोर्ड की राय के बाद हाईकोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दे दी |
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