News portals-सबकी खबर (नाहन)
कुदरत की सबसे अनमोल देन आंखों को उसकी आदत बन चुका मोबाइल नुकसान पहुंचा रहा है। मोबाइल से प्रभावित रोगियों की संख्या में दिन प्रति दिन इजाफा हुआ है। मेडिकल कॉलेज नाहन की नेत्र विभाग ओपीडी में अब शुष्कता (ड्राइनेस), आंखों का भारीपन और सिरदर्द के मरीज भी पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसका कारण मोबाइल और कंप्यूटर का ज्यादा प्रयोग माना जा रहा है। ओपीडी में रोजाना 120 से 150 रोगी आंखों की समस्य से इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल हैं। सफेद मोतिया, काला मोतिया, शुगर के चलते बुजुर्ग इलाज के लिए आ रहे हैं। वहीं, 17 से 40 वर्ष की आयु के रोगियों में अधिकतर ड्राइनेस, आंखों का भारीपन आदि के लक्षण मिल रहे हैं।नेत्र विशेषज्ञों की मानें तो मोबाइल और कंप्यूटर पर व्यस्त रहने के कारण आंखों में मेलाटोनिन हार्मोन लेवल कम हो जाता है। स्मार्टफोन की वजह से बीते कुछ समय में ड्राइनेस के मरीजों की संख्या बढ़ी है। वहीं, कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन क्लासिज, बैठकों आदि के आयोजन भी इसके कारण माने जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज नाहन में जनवरी 2022 से अब तक 1400 के आसपास लोग जांच करवाने आए हैं। मेडिकल कॉलेज के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. शाहिद खान ने बताया कि रोशनी की कमी से आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं। ऐसे में आंख के फोकस में नजदीक और दूर की चीजों के बीच फर्क कम हो जाता है। लगातार टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर देखने से आंखों की रोशनी कम होने लगती है क्योंकि इनसे निकलने वाली घातक किरणें हमारी आंखों को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए जरूरत पड़ने पर ही इनका प्रयोग करें। मेडिकल कॉलेज की नेत्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीता गर्ग ने बताया कि आजकल बच्चों ने जंक फूड ज्यादा लेना शुरू कर दिया है। ज्यादातर मोबाइल या डिजिटल स्क्रीन से जुड़े रहते हैं। बच्चों को हरी सब्जियां खिलाएं। आउटडोर खेलों में रुचि लें। आंखों को पर्याप्त आराम देने के लिए आठ घंटे की नींद लें। दिन में तीन से चार बार आंखों को ठंडे पानी से अच्छी तरह धोएं। दूध, मक्खन, गाजर, टमाटर, पपीता, अंडे, देसी घी और हरी सब्जियां खाएं।
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