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November 22, 2024

भविष्य की नीव रंखने वाले विभाग की लापरवाही ,मृतक शिक्षक की 16 माहं बाद पदोन्नती व् तबादला

News portals-सबकी खबर (कफोटा )

प्रदेश शिक्षा विभाग को नही मालुम की उनके कमर्चारी कोन कहाँ तेनात है बिना छानबीन किये “ आगे दौड़ पीछे छोड़” वाली नीति पर कार्य हो रहा है ताजा मामला शिक्षा खण्ड शिलाई में सामने आया है जंहा पर 16 माहं पहले मुख्य शिक्षक की मृत्यु हो चुकी है तथा विभाग ने शिक्षक को पदोन्नत के साथ तबादला कर दिया है!

बात नवम्बर 2019 की है जब नाया स्कूल के मुख्य अध्यापक धर्मचन्द रोज की तरह उस दिन शिलाई बाजार से नाया स्कूल के लिए निकले थे कि अचानक उन्हें दिल का दौरा आया और मूर्छित होकर सड़क पर गिर पड़े, स्थानीय लोगों व साथ में स्कूल जा रहे शिक्षकों ने मूर्छित हालत में धर्मचंद को अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डाक्टरों ने धर्मचंद को मृत घोषित कर दिया मामले की सुचना विभाग व परिजनों को दी गई, विभागीय ओपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद मृतक को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सोंपा गया, खण्ड शिक्षा अधिकारीं शिलाई ने जरुरी ओपचारिकताएं जल्द इसलिए पूर्ण की ताकि पीड़ित परिवार को विभाग की तरफ से मिलने वाली सहायता मिल सकें, उच्चअधिकारीयों को मृतक का पूरा रिकार्ड भेजा गया जिसके बाद वर्षभर पहले परिजनों को पूर्ण सहायता तो मिली ही है साथ ही मृतक की धर्म पत्नी को पेंशन भी मिल रही है! नाया स्कूल में पिछले लगभग 16 महीनो से मुख्य अध्यापक का पद अतिरिक्त चार्ज पर चल रहा है!

प्रदेश वासियों को आश्चर्य इस बात से हो रहा है कि धर्मचंद किडनी की बीमारी से ग्रसित थे तथा लम्बे समय से स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में थे, स्वास्थ्य सही न होने पर शिक्षा विभाग से कईबार स्वास्थ्य छुटियाँ भी ली थी उनकी मृत्यु होने का रिकार्ड विभाग को समय पर भेजा गया है लेकिन आलाधिकारीयों ने धर्मचंद की मृत्यु के लगभग 16 माहं बाद पदोन्नति तो की ही है साथ ही नाया स्कूल से कफोटा स्कूल के लिए तबादला भी कर दिया है प्रदेश शिक्षा विभाग ने 26 मार्च को लगभग 97 विभागीय कर्मचारियों को पदोन्नति के आदेश जारी किये है जिनमे सीरियल नम्बर 90 पर नाया स्कूल के मृतक मुख्याध्यापक धर्मचंद का नाम अंकित किया गया है विभागीय कार्यप्रणाली पर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही है साथ ही सोशल मिडिया के माध्यम से विभाग के आदेशों की धज्जियां उडाई जा रही है! ऐसा पहली बार नही हुआ है बल्कि इससे पहले भी ऐसे मामले शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर चुकें है!

सवाल इस बात का है कि जिस विभाग के पथ पर भविष्य की नीव रखी जाती है वही विभाग लापरवाह व तनख्वाह लेने के चक्कर में सरकारी कुर्सीयां तोड़ रहा है अपना ही रिकार्ड सही से नही पड़ पा रहा है वह जमीन पर केसी शिक्षा दे रहा होगा! अल्वता गलती जिसकी भी रही होगी लेकिन शिक्षा विभाग सुर्ख़ियों में रहने के लिए प्रदेश में मशहूर है!

तत्कालीन शिक्षा खण्ड अधिकारी प्रताप चौहान ने बताया कि उन्हें सही से यह तो याद नही है कि किस माहं नाया स्कूल के मुख्य शिक्षक धर्मचन्द की मृत्यु हुई है लेकिन वह उसदिन अस्पताल में मोजूद थे तथा धर्मचंद के शव को उनकी धर्मपत्नी के पास सोंप दिया गया था साथ ही सभी कागजी कार्यवाही पूर्ण करके विभागीय अधिकारीयों सहित सरकार को भेजी गई है! पूर्ण जानकारी के लिए पुराने रिकार्ड का निरिक्षण जरुरी है! कफोटा स्कूल के कार्यकारी प्रधानचार्य सुरेश कुमार बताते है कि जिनकी नियुक्ति स्कूल के अंदर प्रधानाचार्य पद पर हुई है उनकी लगभग 16 माहं पहले मृत्यु हो चुकी है!

 

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