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November 24, 2024

हिमाचल में स्मार्ट मीटर लगाने का रास्ता साफ ,केंद्र सरकार ने 1788 करोड़ 49 लाख रुपए के भारी-भरकम प्रोजेक्ट को मंजूरी

News portals-सबकी खबर (शिमला )

हिमाचल में स्मार्ट मीटर लगाने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने 1788 करोड़ 49 लाख रुपए के भारी-भरकम प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। यह प्रोजेक्ट बिजली बोर्ड की तरफ से केंद्र को भेजा गया था। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में 1350 करोड़ रुपए केंद्र सरकार खर्च कर रही है, जबकि अन्य हिस्सा बिजली बोर्ड खर्च करेगा। लेकिन इस हिस्से का अधिकतर भाग बोर्ड किस्तों में खर्च करेगा। जिस फर्म को स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर जाएगा, उसे प्रति मीटर के हिसाब से बोर्ड भुगतान करेगा।

इससे बोर्ड पर एक साथ बड़े बजट को खर्च करने का दबाव नहीं पड़ेगा। बोर्ड ने प्रोजेक्ट में तय किया है कि टेंडर होने के दो साल के भीतर फर्म को पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने होंगे। यानि दो साल में बिजली बोर्ड स्मार्ट मीटर के एवज में अपने हिस्से के 438 करोड़ रुपए खर्च करेगा। इस अवधि के दौरान ही बोर्ड को उपभोक्ताओं से मीटर रेंट और बिजली बिल का भुगतान आना शुरू हो जाएगा। इस आय को प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। दो साल तक इन मीटरों के स्थापित हो जाने के बाद आगामी सात साल तक रखरखाव का जिम्मा फर्म का ही रहेगा। गौरतलब है कि हिमाचल में सबसे पहले शिमला और धर्मशाला में स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य छेड़ा गया था। इन दोनों शहरों में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। प्रदेश में यह ट्रायल के तौर पर भी था, जो पूरी तरह से सफल रहा है। दोनों शहरों में स्मार्ट मीटर के बिल मोबाइल पर उपभोक्ताओं को मिल रहे हैं। भविष्य में इस योजना में रिचार्ज प्रणाली को भी शामिल करने की तैयारी है। द्वितीय चरण में बिजली को मोबाइल की तर्ज पर रिचार्ज किया जा सकेगा और बिजली की खपत कम होगी। (एचडीएम)

बता दे कि प्रदेश में इस समय 22 लाख 59 हजार 645 उपभोक्ता हैं। इनमें से 14 लाख 62 हजार उपभोक्ता 125 यूनिट तक बिजली की खपत कर रहे हैं। यानि इन सभी के बिजली बिल इस बार शून्य आए हैं। करीब आठ लाख उपभोक्ताओं की बिजली खपत भुगतान के दायरे में आती है। ऐसे में कम खपत वालों से मीटर रेंट भी नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में भविष्य में बिजली बोर्ड के लिए इन उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर नि:शुल्क लगाने होंगे और इनसे किसी भी तरह की भरपाई नहीं हो पाएगी। बिजली बोर्ड के लिए यह बड़ी मुश्किल आने वाले दिनों में हो सकती है।

उधर पंकज डढवाल; प्रबंध निदेशक, बिजली बोर्ड ने बताया कि स्मार्ट मीटर पर केंद्र की मंजूरी मिल गई है। अब जल्द ही बोर्ड टेंडर प्रक्रिया शुरू करेगा। जिस भी फर्म को यह टेंडर जाएगा उसे आगामी नौ साल तक प्रदेश में इस व्यवस्था को चलाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसमें शुरूआती दो साल में मीटर लगाने होंगे जबकि आगामी सात साल तक इनका रखरखाव करना होगा। मीटर स्थापित करने के क्रम के हिसाब से फर्म को भुगतान किया जाएगा। पूरे प्रदेश को जल्द ही यह सुविधा मिले, इसके लिए बोर्ड ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।

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