News portals-सबकी खबर (रेणुकाजी)
गिरी नदी पर बनने वाले 26 किलोमीटर लंबे रेणुकाजी बांध से डूबने वाले संगड़ाह-नाहन मार्ग के विकल्प के रूप मे बनने वाली नई सड़क के सर्वे व डीपीआर का काम PWD द्वारा शुरू किया जा चुका है। जलमग्न होने वाली 7 किलोमीटर सड़क के वैकल्पिक रोड की दूरी 14 किलोमीटर के करीब होगी और ऐसे मे Civil Subdivision संगड़ाह व चौपाल की 5 दर्जन के करीब पंचायतों की दूरी सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन, पांवटा व चंडीगढ़ आदि से 7 किलोमीटर बढ़ जाएगी। ऐसे मे इन पंचायतों का 7 Kilomiter का Bus किराया व मालभाड़ा बढ़ जाएगा और आजीविका बचाओ समिति सिरमौर पहले ही इन पंचायतों को बांध प्रभावित घोषित करने की मांग कर चुकी है। नई सड़क व इसमे मे दनोई खड्ड पर बनने वाले पुल पर जानकारों के अनुसार 80 करोड़ से अधिक Budget खर्च हो सकता है, हालांकि लोक निर्माण विभाग के संबधित Engeeniors के अनुसार डीपीआर बनने पर ही इस बारे सही जानकारी दी जा सकेगी। मात्र 40 मेघवाट की रेणुकाजी बांध परियोजना का वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही इस पर करीब 780 करोड़ का बजट खर्च हो चुका है, जिसमे से 447 करोड़ से अधिक की राशि विस्थापित होने वाले किसानो को मुआवजे के रुप मे जारी हो चुकी है। गत 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करीब 7,000 करोड़ की इस परियोजना के शिलान्यास के बाद यहां विभिन्न गतिविधियां तेज हो चुकी है, हालांकि अभी भी निर्माण कार्य के ग्लोबल टेंडर मे लंबा समय लग सकता है। इस बीच राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की 14वीं बटालियन, RRC नालागढ़ द्वारा गत सप्ताह इस परियोजना के महाप्रबंधक के साथ प्रस्तावित डैम के संवेदनशील स्थानों का दौरा कर आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना बारे मे जानकारी हासिल की गई। NDRF के डिप्टी कमांडेंट रजनीश शर्मा के नैत्रित्व मे टीम द्वारा बांध के संवेदनशील हिस्सों को लेकर तकनीकी जानकारियां हासिल की जा जुकी है। उधर बांध से विस्थापित होने वाले किसानों की संघर्ष द्वारा MPF पहचान पत्र व मुआवजे का व्यौरा जारी करने के लिए एक माह का अल्टीमेटम दिया गया है। समिति अध्यक्ष योगेंद्र कपिला, महासचिव संजय चौहान व सहसंयोजक पीसी शर्मा आदि के अनुसार गत 24 दिसंबर को उपायुक्त सिरमौर के 1 माह के आश्वासन के बावजूद सभी 1142 के करीब विस्थापित परिवारों को एमपीएफ I Card पत्र न दिए जाने व मुआवजे का व्यौरा न मिलने पर रोष जताया। उन्होने बांध प्रबंधन व जिला प्रशासन द्वारा एक माह मे मांगे पूरी न किए जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दी है।
1962 से Budget के अभाव मे लंबित रही परियोजना
वर्ष 1962 से प्रस्तावित अथवा बहुचर्चिच रेणुकाजी बांध के शिलान्यास से एक तरफ जहां क्षेत्रवासियों मे काफी उत्साह है, वही साईड इफेक्ट की चिंता भी है। विडंबना यह भी है कि, गिरी नदी के साथ लगते उपमंडल संगड़ाह, पच्छाद, नाहन व पांवटा के दर्जनों गांवों मे आज भी पेयजल संकट है और पानी दिल्ली भेजे जाने से “घर मे नही दाने, अम्मा चली भुनाने” की कहावत भी क्षेत्र मे चर्चा में है। राजनीतिक इच्छाशक्ति व बजट के अभाव मे 1960 के दशक सिरे न चढ़ सकी रेणुकाजी बांध परियोजना का 1993 मे फिर से इंवेस्टिगेशन कार्य शुरू होने के बाद से हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव मे यह मांग मुख्य मुद्दा रहती थी।
रेणुकाजी बांध परियोजना के महाप्रबंधक Eng रूपलाल ने कहा की, इस परियोजना से देश की राजधानी दिल्ली सहित आधा दर्जन राज्यों को एमओयू के अनुसार पानी की सप्लाई होंगी। निर्माण राशि का 90% हिस्सा केंद्र सरकार जबकि 10 प्रतिशत 6 राज्य वहन करेंगे। GM के अनुसार गर्मियों व सर्दी मे बेशक नदी मे पानी काफी कम है, मगर बरसात में आने वाला बाढ़ का पानी इकट्ठा कर कईं दिन सप्लाई किया जा सकेगा। जीएम के अनुसार बांध के डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले संगड़ाह-रेणुकाजी-नाहन रोड की डीपीआर लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह से मांगी गई है। अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह रतन शर्मा ने कहा कि, बांध से डूबने बाली सड़क के वैकल्पिक रोड की DPR तैयार करने व सर्वे का काम शुरू हो चुका है। जानकारी के अनुसार DPR लिए परियोजना से करीब 14 लाख का शुरूआती बजट भी उपलब्ध करवाया जा चुका है।
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