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एक तरफ जहा कोरोना की वजह से सकुल कॉलेज बंद पड़े हुए है वही लॉकडाउन के बीच स्कूली बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा उतपन न हो तो धर्मशाला के युवाओं ने सकुली बच्चो की पढ़ाई का बीड़ा सवय उठाया है। करीब तीस युवाओं की टोली बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ा रही है। ये सभी बारहवीं पास हैं। यही नहीं बच्चों की पढ़ाई का खर्च ये अपने जेब खर्च से उठा रहे हैं।
खास बात यह है कि युवाओं ने बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद ही अपने-अपने विभाग बनाकर बांट लिए हैं।युवा धर्मशाला में गांव-गांव जा रहे हैं। रोज तीन गांव चुने जाते हैं और वहां जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं। दिव्यांगना त्रिवेदी और अभिनव गुरंग ने बताया कि अलग-अलग विषय बच्चों को पढ़ाते हैं। तनिश शर्मा ने कहा कि कोशिश है बच्चों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाया जाए।
सरकारी स्कूलों के आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों को गांव में जाकर पढ़ाने की मुहिम सेवानिवृत्त सेशन जज की बेटी दिव्यांगना त्रिवेदी ने अपने दो दोस्तों के साथ एक माह पहले शुरू की है। दिव्यांगना की टीम में अब 30 युवक-युवतियां हो गए हैं। सभी बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद एंट्रेंस एग्जाम और कॉलेज खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
इनमें कोई युवा इंजीनियर, वकील तो कोई कॉलेज जाना चाहता है। युवाओं ने अपने अभियान को विल एंड वे का नाम दिया है।दिव्यांगना, सिद्धार्थ कपूर, अक्षत, आर्यन गौतम, काश्नी अबरोल, पारुल, आदित्य महाजन, रोनिक, आर्यन सूद और साहिल ने बताया कि हर महीने पॉकेट मनी के पैसे जोड़ते हैं। इससे बच्चों के लिए किताबें, मास्क, साबुन खरीदते हैं
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