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केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री वी.सदानंद गौड़ा ने कहा है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए देश में दवाओं की कमी नहीं है।
गुजरात के गांधी नगर में आज इंडिया फार्मा एंड मेडिकल डिवाइस 2020 सम्मेलन को संबोधित करते हुए गौड़ा ने आश्वासन दिया कि अब तक, सरकार मजबूत निगरानी तंत्र के माध्यम से देश में कोरोना के प्रसार को सीमित रखने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर कोरोना के प्रकोप ने फार्मा क्षेत्र के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी करने के साथ ही इस क्षेत्र के लिए अवसरों के द्वार भी खोले हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़ी किसी भी घटना से निपटने के लिए सरकार, अस्पतालों, चिकित्सा संस्थानों और फार्मा क्षेत्र की ओर से पूरी तैयारी की गई है।
गौड़ा ने कहा कि सक्रिय औषधि अवयव (एपीआई) के आयात पर निर्भरता घटाकर भारत को एपीआई विनिर्माण के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा कंपनियों को इस मौके का फायदा उठाते हुए एपीआई विनिर्माण की अपनी क्षमता बढ़ानी चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि फार्मा क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। बढ़ती आबादी, समृद्धि और स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता इस क्षेत्र में आगे निवेश करने के लिए एक बहुत अच्छा अवसर प्रदान करती है। यदि इन अवसरों का ठीक से लाभ उठाया जाए, तो भारतीय फार्मा उद्योग का बाजार 2025 तक 100 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का और चिकित्सा उपकरण उद्योग 2025 तक 50 बिलियन अमरीकी डॉलर का हो सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने बड़ी संख्या में औषधि और चिकित्सा उपकरण पार्क विकसित करने की योजना बनाई है, जिसके तहत केंद्र सरकार इन पार्कों में सामान्य सुविधा केंद्रों के निर्माण के लिए राज्य सरकारों को सहायता के रूप में एकमुश्त राशि प्रदान करती है। ऐसे पार्कों के लिए गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों से कई प्रस्ताव मिले हैं जो विचाराधीन हैं।
गौड़ा ने कहा कि विकासशील देशों में, जहाँ आबादी का एक बड़ा वर्ग अभी भी गरीब है और जहाँ चिकित्सा खर्च आय की तुलना में बहुत अधिक है, दवाएं खरीदने का सामर्थ्य समाज की प्रमुख चिंताओं में से एक है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि घरेलू फार्मा उद्योग ने देश और विदेश में विनिर्माण और आपूर्ति के मामले में काफी सफलता हासिल की है, हालाँकि, इस मोर्चे पर बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना (पीएमबीजेपी) लागू की है। इसका उद्देश्य आम जनता तथा विशेष रूप से गरीब और वंचित तबके को सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार करना है। जन औषधि की दुकानों पर बेची जाने वाली जेनेरिक दवाओं की कीमत बाजार में बेची जाने वाली दवाओं की तुलना में 50 प्रतिशत और कुछ मामले में 90 प्रतिशत तक कम हैं। ऐसी दवाओं के मामले में लोगों की प्रतिक्रिया काफी अच्छी रही है। उन्होंने दवा कंपनियों से अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करने और विकासशील देशों में जनता के सामर्थ्य को ध्यान में रखते हुए बाजार में नई दवाएं लाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि फार्मा और चिकित्सा क्षेत्र में तेज विकास की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकार नीतिगत स्थिरता और नियमों को सरल बनाकर कारोबारी सुगमता पर जोर दे रही है, जिससे फार्मा और चिकित्सा उपकरण उद्योग को नई ऊंचाइयां हासिल करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक नागरिक को किफायती स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मंडाविया ने कहा कि भारतीय फार्मा क्षेत्र 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की वृद्धि दर 20 प्रतिशत है। इन क्षेत्रों में अभी भी विकास के लिए बहुत अच्छे अवसर मौजूद हैं। केन्द्र सरकार की उद्योग हितैषी नीति और सस्ते श्रम के कारण वाला विदेशी उद्योग भारत में निवेश करने में रुचि रखता है।गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।
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