News Portals -सबकी खबर ( शिमला )
फोरलेन निर्माण में जमीनों के अधिग्रहण पर दिए जाने वाले मुआवजे के लिए केंद्र से मिले 2205.48 करोड़ रुपये में 143 करोड़ रुपये की धनराशि का गड़बड़झाला हुआ है। यह गड़बड़झाला तीन साल में वित्त वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के बीच घटित हुआ, जो अब सामने आया है।तत्कालीन हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2205.48 करोड़ रुपये में से प्रशासनिक व्यय 55 करोड़ रुपये के बजाय 198 करोड़ रुपये कर दिया।
इसका खामियाजा आज तक फोरलेन प्रभावित भुगत रहे हैं, जिन्हें बजट की कमी बताकर आधा-अधूरा मुआवजा ही मिल रहा है। इस गड़बड़झाले को खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्रालय सामने लाया, जिसे फोरलेन प्रभावितों ने उजागर किया है। इस पर अधिकारियों को भी जवाब देना मुश्किल हो गया है। पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड की संस्तुति के बाद केंद्र ने सभी राज्यों को फोरलेन प्रभावितों को भू अधिग्रहण के मुआवजे पर ढाई फीसदी से ज्यादा प्रशासनिक खर्च नहीं करने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रदेश में इसे नौ प्रतिशत के हिसाब से खर्च किया जाता रहा।
इसमें सात प्रतिशत स्थापना व्यय और दो फीसदी कंटीजेंसी के रूप में व्यय किए गए।वर्ष 2014-15 में हिमाचल प्रदेश को 12.99 करोड़, 2015-16 में 920.31 करोड़ और 2016-17 में 1272.18 करोड़ रुपये हिमाचल को मिले थे। हिमाचल प्रदेश भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के अध्यक्ष बीआर कौंडल ने बताया कि प्रदेश में फोरलेन प्रभावितों को फैक्टर-एक के अनुसार ही मुआवजा देने की बात हुई है, जबकि ये फैक्टर-दो के अनुसार मिलना है।
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