News portlas: सबकी ख़बर
हमने देखा कि… उनको शाबाशी कम ही मिलती है। उनको खुद भी ये पता है, की बहुत अच्छा करने पर भी, वाहवाही कम व नफरत भरी आंखे ज्यादा तरेरी जाएगी। कई बार तो अल्प विकसित दिमाग भी, ऐसे समय अचानक कटाक्ष करने को विकसित हो उठेंगे । कई तिरछी आंखे होंगी, खूब भृकुटियां भी तनेगी। हर बार ही कई लोगों के ताने सुनने को मिलेंगे। पीठ थपथपाने वाले कम व विरले से होंगे। टांग खिंचाई ज्यादा होगी।
पर उनकी तो जिद्द ही अनूठी हैं। …
नो पॉलिथीन… प्लीज आंटी.., प्लीज अंकल… अरे बहन जी आप फिर इस बार पॉलिथीन लेकर आ गए। अरे, आप सब समझते क्यों नही? ओर जो लोग कुल्हाल से पॉलिथीन लेकर नहीं आते, उनको थैंक्स कहते इन जुझारु व जोशीले मुहिम सदस्यों को सुना जाता है। कुल्हाल पीठ से आनेजाने वालों के साथ मे कोई बच्चा भी हो तो चॉकलेट व टॉफी भी देते हैं।
कुछ ये भी कह देते हैं कि गरीबों को तंग किया जा रहा है। नादानों… पॉलिथीन के दुष्प्रभाव, स्वस्थ्य पर विपरीत असर या बीमारी फैलेगी तो वो कोई अमीरी गरीबी नही देखती।
पांवटा के कुछ जिद्दी लोग हैं, जो हर वीरवार को वो सब अपना निजी कार्यों को छोड़ देते हैं। सबके मिलकर कदम उठते है। ये कदम उत्तराखंड सीमा की तरफ, बरबस ही चल पड़ते हैं। उनको बस एक ही चिंता? ये चिंता अपनी या अपने परिवार की ही नहीं? सवाल उठता है कि फिर चिंता आखिर किसकी? अरे,बस चिंता है तो बस और बस आने वाली युवा पीढ़ी कि है। चिंता है, तो देवभूमि व गुरू की नगरी पांवटा के हजारों लोगों की…। कि कही गलती से भी, पड़ोसी राज्य की सब्जी मंडी से वीरवार को लगने वाली पीठ कुल्हाल हाट से अपने क्षेत्रों में जानलेवा, केंसर वाहक व मवेशियों की मौत का कारण बनने वाली पॉलिथीन कही पांवटा में न पहुंच जाए।
हम ये लिखना नही चाहते ….पर …खुद को आज रोक नही पाएंगे। ये भी बिडम्बना तो देखिए। देश से विदेश तक …क्लीन पांवटा ग्रीन पांवटा… की जागरूकता मुहिम की धमक पहुँच गईं। सदी के नायक के मुंबई राष्ट्रीय स्तर कार्यक्रम की गूंज पहुंची। जिसमे पांवटा
निवासी व मुहिम पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले फ़िल्म निर्देशक विवेक तिवारी ने प्रतिनिधत्व किया था। देश के कई मंचो तक हजारों शैक्षणिक संस्थानों के बच्चों के माध्यम
से आम जन तक पहुंचाई, इस जागरूकता के तरीकों को खूब सराहना भी मिली।
और हां, अगर इस तरह की शानदार मुहिम कहीं, नही पहूंची, तो केवल अधकचरा सोच,
नकारात्मक दिमाग वालों तक नही पहुंच सकी। जिनको, हमेशा लोगों को नीचे दिखाने व अच्छा करने वाले कि टांग खिंचाई से ही सुकून मिलता है। ये कहते हैं कि फिर पॉलिथींन बनने की इकाई ही बंद करवा दो? सब्जी मंडी, शहरी दुकानों में पॉलिथीन बन्द क्यों नही करवाते। या काम विभिन्न विभागों की कार्यवाही से संभव है। जो होती भी रही है। अगर फिर भी नही हो रहे तो तनिक शहर कर लिए आप सब भी मिल कर बन्द करवा लो, पर नही बस जबान चलानी आती है। ..खैर छोड़ो…कहते हैं कि बुरे लोगो की ज्यादा बात व चर्चा करना भी ठीक नहीं रहता। बस इतना कहेंगे कि भगवान उनको सद्बुद्धि दे। हां, केंद्र व राज्य सरकार के पॉलिथीन के खिलाफ मुहिम से सबकी सोच कुछ बदली भी जरूर होगी। … की जो प्रयास अब हो रहा वो सीपीजीपी की टीम पिछले करीब 4 साल से कर रही है।
*ये रहे सीपीजीपी मुहिम के मजबूत स्तंभ*
इस मुहिम के संरक्षक-समन्वयक राजेन्द्र प्रसाद तिवारी, एचएस राणा,( स्व. डॉ. ब्रजेन्द्र शर्मा,), सुरेंद्र बिश्नोई, मनिंदर सिंह, नप कमेटी अध्यक्ष कृष्णा धीमान, उपाध्यक्ष नवीन शर्मा, विवेक तिवारी, निर्मल सिंह, श्याम भाटिया, अतर नेगी, ओपी शर्मा, पंकज भटनागर, मोहनीश मोहन, नीरज, विश्वजीत बंसल, पंकज शर्मा, संजीव भारद्वाज, जाबिर हुसैन, लोकेश, सुखविंदर सिंह, सावित्री तिवारी आजमी, डिंपल बरार, एनएम रमौल, राजेश कुमार, राहुल शर्मा, मंजू शर्मा, रविन्द्र बरार, सुरेश कुमार, ज्ञान प्रकाश, अनिंद्र सिंह, धनवीर सिंह, प्रदीप चौहान, निखिल कपिल, गोविंद भास्कर, अश्वनी राय, अर्जुन गुर्जर, ब्रहमदीप सिंह, हरदीप सिंह चानना, सीमा, अशोक बहुता, धीरज चोपड़ा, आदेश शर्मा, कएल ठाकुर, रहमान, गुडु, पारस, सजंय कंवर, लाड़ी, हर्षदीप सिंह व हरदीप सिंह समेत समस्त सीपीजीपी टीम के सैंकड़ो सदस्यों की टीम सक्रिय रुप से कार्य करते रहे।
* गुरु की नगरी याद रखेगी सीपीजीपी की अनुठी मुहिम*
– news portlas: सबकी ख़बर टीम की तरफ से शहर के प्रति निःस्वार्थ व समर्पण भावना के साथ 4 वर्षों से अधिक समय से मुहिम का हिस्सा रहे… हर सदस्य के जज्बे को सलाम करता है। उनका आभार भी प्रकट करता है। देवभूमि हिमाचल तथा गुरु की नगरी पांवटा साहिब से प्यार करने वाला हर शख्स आपके इस योगदान को सदैव याद रखेगा।
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