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प्रदेश सरकार ने परवाणू के टीटीआर रोप-वे हादसे की जांच पूरी कर ली है। इस हादसे में मशीनरी में गडबड़ी को जिम्मेदार पाया गया है, जिस समय ट्रॉली रिजॉर्ट की तरफ बढ़ रही थी अचानक से फटिक सॉफ्ट फ्रेक्चर मशीन खराब हो गई और ट्रॉली बीच रास्ते में अटक गई। हादसे के दौरान रोप-वे में 11 पर्यटक फंस गए थे। इन पर्यटकों को ट्रॉली से निकालनेे के लिए एनडीआरएफ की मदद लेनी पड़ी थी। हादसे में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। सोलन जिला प्रशासन को जांच की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि शिमला में लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव इस जांच की निगरानी कर रहे थे।
टीटीआर में बीते 20 जून को यह हादसा पेश आया था। अब इस मामले की जांच पूरी हो गई है। हादसे में तकनीकी खामी को जिम्मेदार करार देने के बाद अब आगामी आदेशों तक रोप-वे को चलाने की अनुमति नहीं दी है। लोक निर्माण विभाग की तकनीकी टीम टीटीआर में पहुंचकर ट्रायल लेगी और इस ट्रायल के संतोषजनक पाए जाने के बाद ही रोप-वे को दोबारा से चलाने की अनुमति मिल सकती है। गौरतलब है कि इस हादसे के बाद प्रदेश सरकार के आदेश पर टीटीआर रोप-वे को आगामी आदेशों तक रोक दिया था। मुख्यमंत्री के आदेश मिलने के बाद प्रशासनिक जांच में हर पहलू को परखा गया। इस दौरान तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई। इन विशेषज्ञों ने कई बार टीटीआर का दौरा किया और रोप-वे में लगे उपकरणों की जांच की। इस जांच के दौरान ही फटिक सॉफ्ट फ्रेक्चर मशीन के खराब होने का खुलासा हुआ। रोपवे पूरी तरह से इस मशीन पर निर्भर था और इसके अचानक जवाब देने की वजह से यह बीच रास्ते में ही अटक गया। हालांकि हादसे के बाद रिजॉर्ट प्रबंधन ने इसे दुरुस्त कर लिया है। लेकिन लोक निर्माण विभाग के तकनीक विंग की एनओसी के बगैर इसे चलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
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