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November 22, 2024

मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार फॉरेंसिक साइंस के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए बहुत सारे राज्यों को सहयोग दे रही है

News portals- सबकी खबर (नई दिल्ली)

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात की राजधानी गांधीनगर में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। साथ ही उन्होंने NFSU कैंपस में विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन भी किया। समारोह में गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, गुजरात सरकार के विधि और क़ानून मंत्री राजेन्द्र त्रिवेदी, केन्द्रीय गृह सचिव और NFSU के कुलपति डॉ जे.एम. व्यास समेत अनेक गणमान्य शामिल हुए। अमित शाह ने दीक्षांत समारोह में शामिल छात्रों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आज का दिन छात्रों के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वे विश्व की पहली फ़ोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री लेकर समाज में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज 21 देशों के 91 विदेशी विद्यार्थियों सहित 1132 छात्र फ़ोरेंसिक साइंस के अलग अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ बनकर समाज में जा रहे हैं। गृह मंत्री ने विश्वास जताया कि जिस उद्देश्य से फ़ोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी उसे पूरा में डिग्री हासिल करने वाले छात्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री  ने कहा कि आज दीक्षांत समारोह के साथ ही एक नए कैंपस का भूमिपूजन और तीन सेंटर ऑफ एक्सीलैंस का उद्घाटन भी किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले गुजरात फ़ोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और अब नेशनल फ़ोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी जिस गति से सभी परिमाणों में प्रगति कर रही है और दुनियाभर में जिस तरह से उसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है उससे एक दशक में ही यह यूनिवर्सिटी विश्व में अपना एक नंबर स्थान सुनिश्चित कर लेगी। शाह ने कहा कि जो तीन एक्सीलेंस के सेंटर बने हैं वे विद्यार्थियों के साथ साथ देश की न्यायिक व्यवस्था को  को भी ताकत देंगे। सेंटर ऑफ एक्सीलैंस डीएनए विश्व का अद्यतन से अद्यतन डीएनए सेंटर बनकर उभरेगा और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन साइबर सिक्योरिटी और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन्वेस्टिगेटिव एंड फॉरेंसिक साइकोलॉजी से  क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को बहुत फायदा होगा। ये तीनों सेंटर अध्ययन, अध्यापन, ट्रेनिंग और कंसलटेंसी के साथ-साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट के बड़े सेंटर बनेंगे और फॉरेंसिक साइंस अनुसंधान क्षेत्र में भारत दुनिया का हब बनेगा। उन्होने कहा कि इन  तीनों सेंटर के माध्यम से यहाँ पढ़ रहे और आज डिग्री लेकर जा रहे विद्यार्थियों को अनुसंधान के लिए एक बहुत बड़ा मौका मिलने वाला है। अमित शाह ने कहा कि 2002-2003 में नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उनका विजन था कि देश में दोष सिद्धि व सजा दिलाने का प्रमाण बढ़ना चाहिए क्योंकि जब तक फॉरेंसिक साइंस एविडेंस मजबूत तरीके से कोर्ट के सामने नहीं रखा जाता तब तक दोष सिद्धि का प्रमाण नहीं बढ़ा सकता। इसलिए उन्होंने गुजरात फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री को पुलिस विभाग से स्वतंत्र करने के साथ-साथ उसे मजबूत बनाकर देश की सबसे अच्छी फॉरेंसिक साइंस लैब बनाने का निर्णय लिया। बाद में ट्रेंड मैन पावर के लिए गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई और उसी से नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की शुरुआत हुई। जब  नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होने एक बार फिर देश भर के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मजबूत करने और फॉरेंसिक साइंस क्षेत्र में जरूरी संख्या में एक्सपर्ट उपलब्ध करने के लिए नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला किया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार IPC, CRPC और Evidence Act तीनों में आमूलचूल परिवर्तन करने जा रही है क्योंकि आजादी के बाद इन कानूनों को किसी ने भारतीय नजरिए से नहीं देखा। उन्होने कहा कि इन कानूनों को एक स्वतंत्र भारत की दृष्टि से फिर से बनाने की जरूरत है इसलिए सरकार बहुत लोगों के साथ चर्चा कर इन तीनों अधिनियमों में परिवर्तन करने जा रही है। 6 साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक विजिट और फॉरेंसिक एविडेंस को अनिवार्य और कानूनी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए ट्रेंड मैन पावरऔर उसके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी। शाह ने कहा कि इस दूर दृष्टि के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की है और बहुत कम समय के अंदर ही इस यूनिवर्सिटी ने बहुत सारे राज्यों में अपने कैंपस खोल दिए हैं। गुजरात के अलावा भोपाल, गोवा, त्रिपुरा, मणिपुर और गुवाहाटी में इसके कैंपस खुल गए हैं जबकि  पुणे और कर्नाटक में चर्चा चल रही है, ये सभी कैंपस जब एक साथ काम करेंगे तो पूरे देश को ट्रेंड मैनपावर मिल जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री  ने कहा कि सरकार देश में फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र को मजबूत करने के लिए फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फॉरेंसिक एक्सपर्ट मैन पावर, फॉरेंसिक टेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस में अनुसंधान के चार स्तंभों पर मुख्य ज़ोर दे रही है ताकि भारत को इस क्षेत्र में विश्व में एक नंबर पर पहुंचाया जा सके। उन्होने कहा कि फॉरेंसिक साइंस के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार बहुत सारे राज्यों को सहयोग दे रही है और उम्मीद है कि 2025 तक देश के हर राज्य में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का कैम्पस बनाने का काम पूरा हो जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि फॉरेंसिक साइंस लैब टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने के लिए भी ढेर सारे काम किए गए हैं। आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार करती हुई फॉरेंसिक साइंस की दो मोबाइल लैब शुरू की गई हैं, दोनों लैब भारत की कंपनियों ने बनाई हैं और ये 100% स्वदेशी हैं। ये लैब विश्व में सबसे ज्यादा आधुनिक भी हैं। उन्होने कहा कि देश के हर जिले में  इस प्रकार की मोबाइल लैब उपलब्ध कारवाई जाएंगी।  शाह ने कहा कि हर राज्य में एक फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री बनने से ही आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में होने वाले परिवर्तनों को निर्णायक अंत तक ले जाया सकेगा। गृह मंत्री ने कहा कि अब थर्ड डिग्री का जमाना नहीं है बल्कि साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर गुनहगार को सजा दिलाकर ही दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ पाएगा। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने जिस नई शिक्षा नीति की घोषणा की है उसका एक प्रमुख बिंदु देश के भीतर ही भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए प्रकार के अभ्यासक्रम और यूनिवर्सिटी बनाकर युवाओं को देश के विकास से जोड़ना है और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी न केवल इस बिन्दु की उद्घोषणा करती है बल्कि इसकी परिपूर्ति भी करती है। उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के आधार पर ज्ञान और स्किल दोनों प्रदान करने पर बहुत अधिक बल देती है। उन्होने कहा कि नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का स्टेट्स इसीलिए दिया है ताकि देश भर में इसकी स्वीकार्यता बने और सभी राज्यों के छात्रों को समान शैक्षिक अवसर मिलें। उन्होंने कहा कि 70 से अधिक देशों और अनेक संगठनों ने  फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के साथ 158 से अधिक समझौता ज्ञापन किए हैं, यह हम सब के लिए बहुत ही गर्व की बात है। गृह मंत्री ने कहा कि नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी न केवल विद्यार्थियों को फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में एक्सपर्ट बना रही है बल्कि पुलिस अफसर, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और ज्यूडिशरी में काम करने वाले व्यक्तियों समेत क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सभी अंगों की ट्रेनिंग की व्यवस्था कर रही है।

उन्होने कहा कि अब तक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम से जुड़े 28000 से ज्यादा अधिकारियों को यहां ट्रेनिंग देने का काम पूरा हो गया है। शाह ने कहा कि आज हम 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और मोदी जी के नेतृत्व में भारत पूरे विश्व में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने जा रहा है। ऐसे में नारकोटिक्स, जाली करेंसी और साइबर अटैक जैसी अनेक प्रकार की अड़चनें  सामने आ रही हैं। इनसे  निपटने के लिए फॉरेंसिक साइंस को और मजबूत बनाना पड़ेगा और इसमें फॉरेंसिक साइंस विद्यार्थियों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के साथ इंटीग्रेट किया जाए ताकि देश में दोष सिद्धि दर को विकसित देशों से भी ऊपर ले जाया जा सके। अमित शाह ने कहा कि प्रत्येक जिले में फॉरेंसिक मोबाइल जांच सुविधा उपलब्ध करवाने और जांच की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कानूनी ढांचा खड़ा किया जाएगा। उन्होने कहा कि गृह मंत्रालय ने फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में डायरेक्टरेट ऑफ फॉरेंसिक साइंस सर्विस और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से लेकर राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान की शुरुआत सहित अनेक इनीशिएटिव लिए हैं। साथ ही सीएफएसएल को मजबूत करने, देशभर में डीएनए टेस्ट के लिए जाल बिछाने और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना भी की गई है। नफीस के तहत लगभग 2 करोड फिंगरप्रिंट वाले देशभर के गुनहगारों के फिंगरप्रिंट डाटा बैंक को ऑनलाइन किया है, निर्भया कोष से यौन शोषण और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में अनेक प्रकार की सुविधाएं बनाने का काम किया है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज का दिन छात्रों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उन्हें आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में डिग्री मिल रही है। 75 की हमारी यह यात्रा जितना सुंदर, रोचक और परिणालक्षी है उससे भी अधिक कष्टदायक हमारी आज़ादी का संघर्ष है। उन्होंने सभी युवाओं से कहा कि उन्हें क्षणभर के लिए भी यह नहीं भूलना चाहिए वे आज जिस आज़ाद और सार्वभौम भारत में साँस ले रहे हैं उसके लिए हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान देकर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। अगर छात्र यह बात दिल में संजो कर रखेंगे तो वे अपने साथ साथ देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे। शाह ने कहा कि आज जो डिग्री मिली है उसका छात्रों को तो लाभ मिलेगा ही साथ ही अगर इसका समाज और समाज सुधार की व्यवस्था को बेहतर बनाने में इस्तेमाल हो तो इससे पूरे देश का फ़ायदा होगा। शाह ने महात्मा गाँधी के एक कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि शिक्षा का महत्व तभी है जब उसकी सुगंध चारों ओर फैले और वह पूरे समाज को सुगंधित बनाए। अमित शाह ने दीक्षांत समारोह में शामिल छात्रों से कहा कि उन्हे समाज और सिस्टम के अपग्रेडेशन के लिए जरूर काम करते रहना चाहिए। डिग्री लेकर जा रहे छात्रों की  सर्वोच्च प्राथमिकता अपने साथ-साथ दूसरों और देश के लिए काम करना होनी चाहिए क्योंकि इसी से संतोष और आनंद और मिलता है। छात्रों और युवाओं से अपनी भाषा को कभी न भूलने का आग्रह करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पढ़ाई लिखाई किसी भी भाषा में की हो लेकिन घर के अंदर अपनी मातृभाषा को बनाए रखना चाहिए, यही प्रयास देश को बहुत आगे ले जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार अब मेडिकल और इंजीनियरिंग समेत  टेक्निकल कोर्स में भी मातृ भाषाओं में पढ़ाई लिखाई को बढ़ावा दे रही है। शाह ने  कहा कि छात्र और युवा अपनी भाषाओं को बचा कर रखें और घर में अपनी भाषा में ही बोलें, लिखें और पढ़ें।

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