News Portals-सबकी खबर(पांवटा साहिब)
कर्फ्यू और लॉक डाउन के बीच दो जिले से होकर उत्तराखंड- हिमाचल सीमा में बिना अनुमति पत्र के सात लोग हिमाचल के सोलन से पांवटा साहिब पहुचे 21 घोड़े सहित आखिर कहां गायब हो गए हैं । इसका पता अभी तक नहीं लग पाया है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि देर शाम पावटा एसडीएम एलआर वर्मा ने डीसी के माध्यम से इन 7 लोगो को यहां से उत्तराखंड जाने की अनुमति पत्र दे दिया गया था। लेकिन जब उत्तराखंड सीमा द्वार पर इन 7 लोग और मवेशियों का पता किया तो पता चला कि वह उत्तराखंड सीमा पर नहीं पहुंचे हैं । ऐसे में यह 7 लोग और 21घोड़े के साथ आए हुए लोग कहां चले गए होंगे। इसका पता ना तो जिला सिरमौर प्रशासन को है और ना ही पांवटा प्रशासन को पता हे। आखिरकार यह लोग उत्तराखंड की सीमा पर कहां से घुसने का प्रयास कर रहे होंगे या यह लोग पांवटा साहिब में ही अपना डेरा जमाए होंगे । इस बात का पता पांवटा प्रशासन को नहीं है की वह कहाँ गए।
उधर जब इस बात का पता करने के लिए सीमा द्वारा कुल्हाल बैरियर पर गए तो वहां चौकी प्रभारी प्रमोद कुमार ने बताया कि यहां से 7 लोगों के साथ 21 घोड़े नहीं गए हैं । उन्होंने कहा कि जबकि उत्तराखंड प्रशासन द्वारा सख्त आदेश है कि जो भी व्यक्ति मवेशियों के साथ सीमा पर आता है उसे वहीं से ही वापस लौटाया जाए चाहे उसके पास परमिशन भले ही हो ।
उधर एसडीएम पावटा आर वर्मा ने बताया कि 7 लोगों को जिला उपायुक्त से पर मिशन पत्र दे दिया गया था ।
उधर, विकास नगर डीएसपी भूपेंदर धोनी ने बताया भले ही हिमाचल अनुमति पत्र लेकिन 7 लोगो सहित 21 मवेशियों को किसी भी हालत में उत्तराखंड की सीमा पर नही घुसने दिया जाएगा ।
बता दे कि लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच बिना अनुमति पत्र के सात लोग हिमाचल के सोलन से पांवटा साहिब पहुंच गए लेकिन, किसी ने उन्हें रास्ते में रोका नहीं। सिरमौर और सोलन जिले में जगह-जगह नाकेबंदी के बावजूद सात लोग अपने घोड़ों के साथ कैसे पांवटा साहिब तक पहुंच गए, इस पर सवाल उठ रहे हैं। पांवटा साहिब बैरियर से भी ये लोग आगे बढ़ गए। लेकिन, उत्तराखंड पुलिस ने अनुमति पत्र नहीं होने का हवाला देकर वापस हिमाचल भेज दिया। अब ये सभी लोग सिरमौर प्रशासन से अनुमति पत्र लेने की गुहार लगा रहे हैं।
प्रदेश में कर्फ्यू के बावजूद सोलन से बिना अनुमति के सात प्रवासी मजदूर अपने 21 घोड़ों के साथ पांवटा साहिब तक पहुंच गए। हैरानी इस बात की है कि गोविंदघाट बैरियर से भी अनुमति नहीं होने के बावजूद उन्हें उत्तराखंड के बहराल बैरियर की तरफ रवाना होने दिया गया। लेकिन, उत्तराखंड पुलिस ने इन्हें वापस भेज दिया। मंगलवार को दोपहर करीब 11 बजकर 56 मिनट पर एनएच-07 पर दर्जनों घोड़ों-खच्चरों के चलने की आवाज सुनी तो लोग हैरान रह गए। सात कामगार 21 घोड़ों के साथ पैदल चल रहे थे। हिमाचल-उत्तराखंड बैरियर गोविंदघाट पर इन्हें रोका गया।
इनको अनुमति पत्र दिखाने को कहा गया। मजदूर मोहम्मद साजिद, नौशाद, बासिद, अफजल, राकिब, शहबाज व शमशाद का कहना था कि किसी ने कोई अनुमति नहीं दी है। इनका कहना था कि पिछले जनवरी माह से हिमाचल में विभिन्न जगहों पर काम कर रहे हैं। ढाई माह से सोलन के निगम में लकड़ी ढ़ोने का काम कर रहे थे। पहले लॉकडाउन फिर कर्फ्यू लगने के बाद से सोलन में ही फंसे हुए थे। आसपास के लोग 21 घोड़े होने पर बाहर नहीं जाने देते, जिसके चलते चारा लाना व घोड़ों को पालना कठिन हो रहा था। मजबूरन रविवार को पैदल ही घोड़ों सहित सोलन से नजीबाबाद के लिए निकल पड़े। सोलन से उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद की दूरी लगभग 296 किमी है।
सोलन से पांवटा साहिब तक 128 किलोमीटर दूरी तय कर ली। अब स्थानीय प्रशासन व पुलिस से मजदूर अनुमति देने की गुहार लगा रहे हैं, जिससे घोड़ों सहित पैदल चलकर 296 किमी दूर अपने घर यूपी के नजीबाबाद पहुंच सकें।
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