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सरकार ने फिलहाल तो शराब के ठेके प्रदेश में बंद रखे हैं, मगर शराब ठेके खुलने के साथ ही उनके स्टॉक की चैकिंग की जाएगी। अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि ये शराब ठेके कब से खुलेंगे, मगर यह तय है कि जैसे ही इनको खोलने के आदेश होंगे, इनकी चैकिंग का दौर शुरू हो जाएगा। इस संबंध में विभाग को स्पष्ट निर्देश जारी हो चुके हैं।
गोरतलब हो की 23 मार्च को जैसे ही लॉकडाउन हुआ, तो अचानक से शराब ठेकों को भी बंद कर दिया गया। ऐसे में आबकारी एवं कराधान विभाग को इन शराब ठेकों का स्टॉक चैक करने का मौका ही नहीं मिल पाया। पुलिस ने कर्फ्यू के दौरान शराब ठेकों को तुरंत बंद करवाया और यहां तक कि शराब ठेके में कर्मचारियों को भी नहीं रहने दिया गया, मगर फिर भी यहां शराब बिकी, जिसे अवैध शराब का नाम दिया जा रहा है। अब यह शराब अवैध रूप से कहीं बाहर से लाई गई या फिर शराब ठेकों से ही गई, इसका कोई पता नहीं है। इसे चैक करने के लिए आबकारी महकमा फील्ड में उतरेगा। सबसे पहली नजर उन होलसेलरों पर रहेगी, जो आगे ठेकेदारों को इसकी सप्लाई करते हैं। वहां से कितनी शराब आगे गई है, इसे चैक करना होगा, क्योंकि इसका रिकार्ड भी महकमा नहीं ले पाया है। इस रिकार्ड से काफी कुछ सामने आ सकेगा। वहीं शराब ठेकेदार, जिसके पास एक महीने का एडवांस स्टॉक पड़ा होता है, उसे भी विभाग को माकूल जवाब देना होगा।
बता दें कि यदि शराब ठेकेदार ने भी शराब बेच दी है और वह यह बोले कि 23 मार्च को ही उसका स्टॉक खत्म हो गया था, तो इसे वह जस्टिफाई नहीं कर पाएगा, क्योंकि एडवांस स्टॉक के बारे में उसे बताना है। ऐसे कई पेचिदा सवाल अब महकमा इस कारोबार में जुड़े लोगोंं से करने वाला है, जिसकी तैयारी की जा रही है। हिमाचल प्रदेश में शराब का कारोबार महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सरकार की आर्थिकी जुड़ी है। रोजाना पांच करोड़ रुपए का नुकसान इस कारोबार के बंद होने से सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन दिनों डिस्टिलरी में भी सेनेटाइजर बनाने का ही काम किया जा रहा है। जहां पर शराब का उत्पादन पूरी तरह से बंद है।
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