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हिमाचल प्रदेश मे जिस प्रकार आधुनिक तकनीके प्रयोग की जा रही है,वहीं तकनीकों को सही से समझना और उनकी खामियों को दुरुस्त करना सीखना होगा| इसके लिए प्रदेश के युवा अब आईटीआई स्तर पर ड्रोन की मरम्मत और तकनीकी खामियों को दुरुस्त करना सीखेंगे। मंडी वुमन समेत प्रदेश के दस आईटीआई को डीजीसीए (डायरेक्टरेट जरनल ऑफ सिविल एविएशन) ने ड्रोन मेंटेनेंस एंड रिपेयर के शार्ट टर्म कोर्स को मंजूरी दे दी है। प्रदेश में 8 दिसंबर के बाद संस्थानों में दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी। आईटीआई के हर एक बैच के लिए बीस सीटों का प्रावधान किया गया है। कोर्स चार सौ घंटे का होगा। स्तर के हिसाब से तीन सौ से लेकर एक हजार तक सिक्योरिटी प्रशिक्षुओं से ली जाएगी। दाखिला लेने वालों के पास आईटीआई के इलेक्ट्रिशियन, इलेक्ट्रिकल आदि का प्रशिक्षण या अनुभव चाहिए। सर्टिफिकेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य होगा।प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में पहली बार ड्रोन की मरम्मत का कोर्स औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के स्तर पर शुरू किया जा रहा है। इससे पहले कांगड़ा के आईटीआई शाहपुर में ड्रोन फ्लाइंग का कोर्स करवाया जा रहा है, लेकिन भारी-भरकम 65 हजार की फीस और पासपोर्ट की अनिवार्यता इस कोर्स के लिए बाधा बनी हुई है। बता दें कि यह कोर्स हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के सहयोग से करवाया जा रहा है। इसकी पुष्टि आईआईटी मंडी वूमेन के प्राचार्य राकेश कुमार ने की है। शिमला, बिलासपुर, शमशी (कुल्लू), सोलन, राजगढ़, वुमन आईटीआई मंडी, वुमन आईटीआई नाहन, सल्याणा (कांगड़ा), शाहपुर और चंबा आईटीआई कोर्स शुरू हो रहा है। भारत में ड्रोन को उनके भार और आकार के आधार पर प्रमुख 05 कैटेगिरी में बांटा गया है।इनमें नौनो ड्रोन 250 ग्राम से कम या उसके बराबर, सूक्ष्म ड्रोन 250 ग्राम से अधिक और 02 किग्रा से कम या उसके बराबर, छोटा ड्रोन 02 किलो से बड़ा और 25 किलो से कम या उसके बराबर, मध्यम ड्रोन 25 किग्रा से अधिक और 150 किग्रा से कम या उसके बराबर या बड़ा ड्रोन 150 किलो से अधिक। हिमाचल में छोटा ड्रोन ही प्रचलित हैं। ड्रोन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना कॅरिअर शुरू करने के इच्छुक विद्यार्थियों के सामने उज्ज्वल भविष्य है। विदेशों में भी नौकरियों के असंख्य अवसर पैदा हो रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत के तहत ड्रोन तकनीक पर भारत सरकार के फोकस ने युवा स्टूडेंट्स के लिए ड्रोन रिपेयर एंड मेंटेनेंस, पायलट, ड्रोन पायलट सर्टिफिकेट, ड्रोन असेंबलिंग और कमीशनिंग विशेषज्ञ, ड्रोन सॉफ्टवेयर डेवलपर्स और ड्रोन रिसाइकलर या स्क्रैपर्स के तौर पर अपना कॅरिअर शुरू करने के मार्ग प्रशस्त किए हैं।- शिवेंद्र डोगर, प्रधानाचार्य (सीनियर स्केल इंजीनियर) आईटीआई मंडी
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